“तमसो माँ ज्योर्तिगमय” अर्थात अंधकार से मुझे प्रकाश की ओर ले जाओ- यह प्रार्थना भारतीय संस्कृति का आधार स्तम्भ रही है, यहाँ प्रकाश से तात्पर्य ज्ञान से है, ज्ञान से व्यक्ति का अंधकार नष्ट होता है और उसका वर्तमान और भावी जीवन जीने योग्य बनता है, ज्ञान से ही उसकी गुप्त इन्द्रियाँ जाग्रत होती है, उसकी कार्य क्षमता बढ़ती है, जो उसे जीवन के प्रगति पथ पर ले जाती है, जैसे-जैसे हम शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ते जाते हैं, वैसे-वैसे हमारा ज्ञान विस्तृत होते आता है, ज्ञान का कोई अर्थ केवल शब्द ज्ञान नही, अपितु अर्थ ज्ञान होता है.
जीवन में सफलता प्राप्त करने के कुछ अलग करने के लिए शिक्षा सभी के लिए महत्वपूर्ण उपकरण है, पूरी शिक्षण प्रकिया के दौरान प्राप्त किया गया ज्ञान प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन के प्रति आत्मनिर्भर बनाता है, यह जीवन में बेहतर संभावनाओं को प्राप्त करने के अवसरों के लिए विभिन्न द्वार खोलती है, जो देश के विकास एवं वृद्धि को बढ़ावा देती है, इस तरह शिक्षा एक ऐसा उपकरण है, जो जीवन, समाज और राष्ट्र में सभी असीव स्थितियों को संभव बनाती है।
संत शिरोमणी श्री रविशंकर जी महाराज
“श्री रावतपुरा सरकार”